Monday, August 30, 2010

एबीवीपी घोषणापत्र के मुख्य बिंदु

1.शिक्षा का व्यापारीकरण रोका जाए: दिल्ली के वो छात्र जो प्रोफेशनल कोर्स करना चाहते हैं उन्हें नोएडा, गाजियाबाद और गुड़गांव के प्राइवेट संस्थानों की ओर रुख करना पड़ रहा है क्योंकि दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में प्रोफेशनल कोर्स न के बराबर हैं. जाहिर है कि इन संस्थानों की फीस काफी अधिक होती है. एबीवीपी इसे शिक्षा के व्यापारीकरण का एक दूसरा रूप मानता है. एबीवीपी के नेतृत्व वाला छात्र संघ विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव बनाकर अधिक से अधिक प्रोफेशलन कोर्स खोलने का प्रयास करेगा.
  1. पूर्वी और पश्चिमी परिसर: एबीवीपी का मानना है कि विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों को समान सुविधाएं मिलनी चाहिए और प्रशासन का और अधिक विकेंद्रीकरण होना चाहिए. इसलिए एबीवीपी की मांग है कि उत्तरी और दक्षिणी परिसर की तरह पूर्वी और पश्चिमी परिसर का भी निर्माण हो. एबीवीपी पूर्वी परिसर में लॉ फैकल्टी बनाने की बात भी उठाएगा.

  1. परिवहन: एबीवीपी के नेतृत्व वाला छात्र संघ प्रयास करेगा कि मेट्रो ट्रेनों में लड़कियों के लिए अलग से डिब्बे लगाए जाएं. हम छात्रों के लिए मेट्रो पास में छूट दिलाने के लिए प्रयास करेंगे. हमारी कोशिश होगी कि मेट्रो फीडर बसों में छात्रों के लिए किराए कम किए जाएं. यू-स्पेशल बसों की सर्विस बढ़ाने का मुद्दा हर स्तर पर उठाया जाएगा.हम प्रयास करेंगे कि डीटीसी के बस पास ब्लूलाइन में भी मान्य किए जाएं.

  1. छात्रावास सुविधा: कॉमनवेल्थ खेलों ने आम छात्र के सर से छत छीन ली है. विश्वविद्यालय के आसपास के इलाकों में भी छात्रों के लिए कमरे नहीं मिल रहे. एबीवीपी विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव बनाएगा कि कम से कम नए छात्रों को कमरे दिलाए जाएं.
  1. छात्रवृत्ति: हम विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति बढ़ाने की मांग करेंगे. दलित वर्ग के छात्रों के लिए राजीव गांधी फेलोशिप की संख्या बढ़ाई जाए.
  1. सुरक्षित और भयमुक्त परिसर: हम उत्तरी परिसर को और अधिक सुरक्षित बनाने का प्रयास करेंगे. लड़कियों के लिए आत्म-रक्षा प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाएंगे.
  1. नए कॉलेज खोले जाएं: पिछले 12 सालों से एनएसयूआई का मातृ संगठन कांग्रेस दिल्ली की सत्ता में है. लेकिन पिछले 12 सालों में कोई नया डिग्री कॉलेज नहीं खुला है जबकि दिल्ली की जनसंख्या तेजी से बढ़ी है.   
  2. निजी कमरों के किराए में बढ़ोत्तरी को रोकने के लिए रूम रेंट कंट्रोल एक्ट तुरंत लागू किया जाए.
  3. सेमेस्टर सिस्टम: एबीवीपी का मानना है कि सेमेस्टर सिस्टम का मुद्दा प्रशासन, प्राध्यापकों और छात्र समुदाय की सहमति लेने के बाद ही लागू किया जाए.

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